आयुर्वेद की समृद्ध ज्ञान परम्परा का लाभ अधिक से अधिक व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए यह आवश्यक है कि आयुर्वेद का प्रत्यक्ष एवं प्रायोगिक ज्ञान नयी पीढ़ी को हस्तान्तरित हो ।
पूज्य महर्षि महेश योगी जी ने रोग विहिन स्वस्थ समाज हेतु वेद आधारित स्वास्थ्य पद्धति की अवधारणा प्रस्तुत की थी । इस पर आधारित 90 हजार वर्ग फीट पर निर्मित 100 बिस्तर क्षमता वाले ’’महर्षि वैदिक स्वास्थ्य केन्द्र’’ का संचालन भोपाल में वर्ष 2012 से हो रहा है, तथा अरेरा कॉलोनी में संचालित वैदिक स्वास्थ्य केन्द्र को Multispecialty Ayurveda Holistic And Awareness Center (MAHA) के रूप में विस्तारित और विकसित किया जा रहा है ।
विगत कुछ वर्षों में आयुर्वेद महाविद्यालयों की संख्या तेजी से बढ़ी है उसका कारण आयुर्वेद की बढ़ती मांग एवं आवश्यकता है, अतः यह आवश्यक हो गया है कि बड़ी संख्या में स्नातक उपाधि प्राप्त आयुर्वेद वैद्य आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी हों, इसे दृष्टिगत रखते हुए, इस अमृत काल में 108 चिकित्सा केंन्द्र प्राथमिकता, अनुकूलता तथा उपलब्धता के आधार पर स्थापित करने की योजना है । यह जनोपयोगी योजना पूर्णतः समन्वय एवं सहभागिता पर आधारित है ।
उद्देश्य
- आयुर्वेद के विद्यार्थी / चिकित्सक / विशेषज्ञों को सक्रिय रूप से चिकित्सा कार्य से जोड़ना ।
- आयुर्वेद निदान का सरल सॉफ्टवेयर बनाकर सरल निदान पद्धति स्थापित करना ।
- आयुर्वेद के चिकित्सा सिद्धांतों के अनुसार चिकित्सा के प्रोटोकाल बनाकर प्रशिक्षण देना ।
- आयुर्वेद को जनोपयोगी बनाने हेतु चिकित्सा शिविरों का आयोजन करना ।
- कठिन एवं असाध्य रोगों पर मार्गदर्शन हेतु विशेषज्ञ समिति बनाना ।
आयुर्वेद विद्यार्थी / स्नातक | निजी क्लीनिक संचालक | विशेषज्ञ |
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शास्त्र एवं संहिताओं के क्लीनिकल पक्ष (Clinical Aspect) को व्यवहार में लाकर | अपने निजी क्लीनिक, हास्पिटल को MAHA के नेटवर्क से जोड़कर | महर्षि प्रणीत चिकित्सा केन्द्रों में परामर्श देकर |
विद्यालयों के स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रमों में सहयोगी होकर | विशेषज्ञों द्वारा बनाये निदान एवं चिकित्सा के प्रोटोकॉल को उपयोग में लाकर | ऑनलाईन परामर्श देकर |
संस्थान द्वारा आयोजित क्लिनिकल मीटिंग, प्रशिक्षण एवं कार्यशाला में सहयोगी होकर | आकर्षक दरों पर उपलब्ध औषधियों को उपयोग में लाते हुए | पंचकर्म चिकित्सा हेतु रिफर करके |
विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में आयोजित चिकित्सा शिविरों में सक्रिय रूप से सहभागी होकर । | क्लीनिक संचालन तथा रोग निदान चिकित्सा आदि में आ रही समस्याओं हेतु परामर्श समिति का सहयोग लेकर । | चिकित्सा शिविरों में विशेषज्ञ के रूप में भागीदार प्रदान कर । |